MDH का फुल फॉर्म जानते हैं आप? इसका मतलब भी है खास

MDH और एवरेस्ट के कुछ प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता को लेकर सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में सवाल उठ रहे हैं. दोनों देशों ने इन प्रोडक्ट की जांच के आदेश भी दे दिए हैं.

 दरअसल इन मसालों में स्वीकार्य सीमा से अधिक कीटनाशक 'एथिलीन ऑक्साइड' पाए जाने का दावा किया गया है, जो कैंसर जैसी बीमारी होने का कारण बन सकता है.

विवादों में फंसा MDH मसाला भारत में काफी मशहूर रहा है. आपने इसका टीवी पर' असली मसाले सच-सच MDH' टैगलाइन से ऐड भी देखा होगा. 

इस MDH मसाले के फाउंडर थे महाशय धर्मपाल गुलाटी. हालांकि, कम ही लोगों को MDH का फुल फॉर्म और उसका मतलब पता होगा.

साल 1919 में  महाशय धर्मपाल गुलाटी के पिता महाशय चुन्नी लाल गुलाटी ने पाकिस्तान के सियालकोट (तब का भारत) में मसाले की बिक्री के लिए एक दुकान खोली थी.

इस दुकान का नाम उन्होंने रखा महाशियां दी हट्टी.  महाशियां मतलब महाशय. वहीं, हट्टी हाट शब्द से बना है. हाट का अर्थ है खरीद फरोख्त की जगह. यानी महाशय की दुकान. 

फिर भारत-पाकिस्तान विभाजन के वक्त  महाशय धर्मपाल गुलाटी के परिवार को अपना पूरा कारोबार छोड़ भारत आना पड़ा. पहले उनका परिवार अमृतसर के रिफ्यूजी कैंप में रहा.

अमृतसर के रिफ्यूजी कैंप में रहने के कुछ समय बाद महाशय धर्मपाल गुलाटी अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गए.

यहां उन्होंने एक तांगा खरीदा. हालांकि, तांगे के बिजनेस में उन्हें मुनाफा नहीं हो रहा था तो कुछ ही महीनों में इसे बेच दिया.

इसके बाद उन्होंने वहीं अपना पुश्तैनी मसाले बेचने का काम शुरू किया. करोल बाग में एक  झोपड़ीनुमा दुकान ली. उसका नाम रखा वही पुराना नाम महाशियां दी हट्टी.

इस दुकान पर उन्होंने घर में बने मसालों को बढ़िया तरीके से पैकिंग कर बेचना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे उनका बिजनेस चल पड़ा.

आपको बता दें कि महाशय धर्मपाल गुलाटी की साल 2020 में मृत्यु हो गई थी. अब  MDH मसालों का बिजनेस उनके बेटे राजीव गुलाटी संभालते हैं.