तेरी नजर से जमाने बदलते रहते हैं... दिल का मिजाज बदल देंगे ये खास शेर

21 Apr 2024

By अतुल कुशवाह

सैफुद्दीन सैफ का मूल नाम सैफुद्दीन था. उनका जन्म 20 मार्च 1922 को अमृतसर पंजाब में हुआ था. उन्होंने लाहौर में 12 जुलाई 1993 को अंतिम सांस ली. इंसानी जिंदगी की हलचलों को शायरी में ढाला.

शायर सैफुद्दीन सैफ

Photo: Social Media/Pexels

सुबह से शाम के आसार नजर आने लगे फिर सहारे मुझे बेकार नजर आने लगे उनके जौहर भी खुले अपनी हकीकत भी खुली हमसे खिंचते ही वो तलवार नजर आने लगे.

खोलकर इन सियाह बालों को रोक दो सुबह के उजालों को इक तबस्सुम से उम्रभर के लिए रोशनी दे गए खयालों को.

तेरी नजर से जमाने बदलते रहते हैं ये लोग तेरे बहाने बदलते रहते हैं कभी जिगर पे कभी दिल पे चोट पड़ती है तेरी नजर के निशाने बदलते रहते हैं.

एक उदासी दिल पर छाई रहती है मेरे कमरे में तन्हाई रहती है सीने में इक दर्द भी रहता है बेदार आंखों में कुछ नींद भी आई रहती है.

हमें खबर है वो मेहमान एक रात का है हमारे पास भी सामान एक रात का है खुलेगी आंख तो समझोगे ख्वाब देखा था ये सारा खेल मेरी जान एक रात का है.

चांदनी रात बड़ी देर के बाद आई है लब पे इक बात बड़ी देर के बाद आई है आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के बाद आज की रात बड़ी देर के बाद आई है.

वफा अंजाम होती जा रही है मोहब्बत खाम होती जा रही है जरा चेहरे से ज़ुल्फों को हटा लो ये कैसी शाम होती जा रही है. (खाम- अधकचरा)

कितना बेकार तमन्ना का सफर होता है कल की उम्मीद पे हर आज बसर होता है यूं मैं सहमा हुआ घबराया हुआ रहता हूं जैसे हर वक्त किसी बात का डर होता है.