14 March 2024
मोहब्बत की निशानी के रूप में जाना जाने वाला ताजमहल विश्व के सात अजूबों में शामिल है.
Credit: UP Tourism
लेकिन, ताजमहल से जुड़ी एक बात और है जिसे कम लोग ही जानते हैं.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुमताज ने बुरहानपुर के शाही महल में 17 जून 1631 को अंतिम सांस ली थी.
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मुमताज की मृत्यु अपनी चौदहवीं संतान के जन्म के दौरान हुई थी.
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बताया जाता है कि शाहजहां मुमताज से बेइंतहां मोहब्बत करते थे इसीलिए उनकी याद में एक भव्य इमारत बनवाना चाहते थे.
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लेकिन, ऐसा बुरहानपुर में संभव नहीं था. इसलिए मुमताज के शव को मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाकर छह महीने 9 दिन तक बुरहानपुर में रखा गया था.
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इतिहास के जानकारों के मुताबिक ताज के निर्माण के लिए पहले बुरहानपुर में ताप्ती के किनारे एक स्थान चुना गया था.
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लेकिन मिट्टी में दीमक होने के चलते यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी क्योंकि ताजमहल की नींव में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी को दीमक से खतरा था.
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इसी वजह से आगरा में यमुना किनारे ताज का निर्माण कराया गया.
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