सालों तक बेरोजगार रहा एक्टर, दर्द में गुजरी जिंदगी-आलीशान घर बना 'जेल', बोला- शराब की लत...

4 May 2024

Credit: Adhyayan Suman

शेखर सुमन और उनके बेटे अध्ययन सुमन  इन दिनों संजय लीला भंसाली की हीरामंडी को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. सीरीज में बाप-बेटे ने अपनी शानदार एक्टिंग से फैंस को काफी इंप्रेस किया है. 

अध्ययन का छलका दर्द

लेकिन साल 2008 में दो हिट फिल्में देने के बावजूद अध्ययन के करियर ग्राफ ने बैकसीट पकड़ ली थी. कई सालों तक उनके पास काम नहीं था.

नए इंटरव्यू में अध्ययन सुमन ने मुश्किल दिनों को याद किया है. इंडियन एक्सप्रेस संग बातचीत में अध्ययन बोले- ये एक लंबी जर्नी रही है.

एक समय ऐसा था जब मैं बहुत थका हुआ फील करता था. मुझे लगता था कि मैं हार मान लूंगा. मेरी जिंदगी में अंधेरा छा गया था. ऐसे में संजय लीला भंसाली मेरी जिंदगी में हीरामंडी के जरिए रोशनी बनकर आए.

अध्ययन सुमन ने बताया कि मुश्किल समय में उनके पिता शेखर सुमन और मां अलका सुमन ने उनका साथ दिया. एक्टर बोले- मैं अतीत को खोदना नहीं चाहता, लेकिन मैं काफी मुश्किल दौर से गुजरा हूं.

मेरे पिता हर मुश्किल में मेरे साथ रहे. मेरी मां काफी इमोशनल हैं. पिता भी इमोशनल हैं, लेकिन वो अपनी फीलिंग्स को इतना फ्रीली शेयर नहीं करते. 

कई बार मुझे लेकर उनके विचार मुझे उनके इंटरव्यू के जरिए ही पता चलते हैं. वो घर में इतना ओपनली बात नहीं करते हैं.

अध्ययन सुमन ने आगे कहा- मेरे पेरेंट्स ने हमेशा मुझे आलीशान जिंदगी दी है. मुझे यूके में दुनिया के सबसे महंगे और टॉप स्कूल भेजा गया था. फिर उन्होंने मुझे न्यूयॉर्क फिल्म स्कूल भेजा.

मैं अकेला रहता था. किसी के साथ अपार्टमेंट, गाड़ी, घर शेयर नहीं करता था. लेकिन मैंने कभी इसका फायदा नहीं उठाया. मैं हमेशा बहुत फोकस्ड था.

पिछले 8 सालों में भी मैंने बहुत आलीशान जिंदगी जी है, लेकिन मुझे ही पता है कि मैंने कैसा फील किया था. बिना काम के 4 मंजिला पेंटहाउस भी मुझे लग्जरी जेल की तरह लगता था.

मुझे लगता था कि मुझे पिंजरे में बंद कर दिया गया है. मैं बाहर जाकर खुद के लिए कुछ करना चाहता था. अपने पेरेंट्स को प्राउड फील कराना चाहता था. लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा था, जो मेरे लिए मुश्किल था.

अध्ययन सुमन ने आगे कहा- मैं ड्रग्स या शराब की लत में पड़ चुका होता. लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया. मेरे अंदर बहुत ज्यादा इमोशनल बैगेज था.

मेरे पिता ने बेटा खोया था. मैं ही उनकी इकलौती औलाद बचा था. मैं गलत रास्ते पर चलकर उन्हें और दुख नहीं देना चाहता था. इसलिए मैं हर रोज उठकर फाइट करता था.

काम के लिए लोगों को कॉल करता था, ऑडिशन पर जाता था. हालांकि, अब हीरामंडी में मिल रहे रिस्पॉन्स से अध्ययन सुमन काफी खुश हैं.