कभी अपने गाए गाने नहीं सुनती थीं लता दीदी 

स्वर कोकिला लता मंगेश्कर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी गायकी के लिए मशहूर थीं.

उन्होंने अपने करियर में अलग-अलग भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाए थे. लेकिन उनके बारे में कहा जाता है कि वह अपने गाए गाने कभी खुद नहीं सुनती थीं. 

इस बारे में उन्होंने खुद एक बार मीडिया को बताया था कि जब भी वह अपने गाने सुनती हैं तो उन्हें अपनी गायकी में हजारों खामियां नजर आती हैं और फिर उन्हें एक ही गाने में काफी समय लगता है.

आपको बता दें कि लता मंगेश्कर न सिर्फ अपना गायन बल्कि गायन में अनुशासन के लिए भी जानी जाती थीं. कहते हैं कि उनका डिक्शन बहुत सटीक था वह कभी नुक्ता तक में गलती नहीं करती थीं.

लता दीदी को संगीत और सुर का ज्ञान विरासत में मिला था और बहुत कम उम्र में उन्होंने गाना शुरू कर दिया था.

उन्होंने अपना पहला गाना एक मराठी फिल्म के लिए गाया था लेकिन बाद में इसे फिल्म से हटा दिया गया और यह कभी रिलीज नहीं हुआ. 

साल 1948 में उनका पहला गाना हिट हुआ और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें अपने गानों के लिए बहुत से पुरस्कार भी मिले हैं. 

तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता, लता दीदी ने अपना पहला प्रतिष्ठित पुरस्कार 1972 की फिल्म परिचय के लिए जीता. उन्हें बीती ना बिताई रैना गाने के लिए Best Female Playback Singer अवॉर्ड मिला. 

कहते हैं प्लेबैक सिंगर के लिए अवॉर्ड केटेगरी नहीं होने के कारण लता दीदी ने एक बार फिल्मफेयर पुरस्कारों में गाना गाने से इनकार कर दिया था. बाद में, 1959 और 2004 के बीच, उन्होंने आजा रे परदेसी और कहीं दीप जले कहीं दिल जैसे गानों के लिए छह फिल्मफेयर पुरस्कार जीते. 

संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए लता दीदी को भारत के तीनों सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी नवाजा गया.