मुगलों की होली कैसी होती थी? औरंगजेब को छोड़कर सब मनाते थे

15 March 2025

होली, रंगों और सद्भाव का त्योहार है. लोग बिना किसी भेदभाव के एक-दूसरे के गले लगकर होली का त्योहार मनाते हैं.

लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे औरंगजेब को छोड़कर मुगल भी धूमधाम से होली का त्योहार मानते थे, आइए जानते हैं कैसी होती थी मुगलों की होली?

जैसे ईद-उल-फितर (मीठी ईद) और ईद-उल-अजहा (बकरीद) कहा जाता है वैसे ही मुगलों की होली को "ईद-ए-गुलाबी" या "आब-ए-पाशी" कहा जाता था, जिसका अर्थ है 'गुलाबी ईद' या 'पानी की बौछार'.

अकबर के समय में फतेहपुर सीकरी और आगरा में होली का भव्य आयोजन होता था. जहांगीर के काल में होली खेलने के चित्र कई ऐतिहासिक पेंटिंग्स में भी मिलती हैं.

शाहजहां के शासनकाल में होली थोड़ा औपचारिक हो गई, लेकिन यह त्योहार तब भी महलों में मनाया जाता था.

ईद-ए-गुलाबी यानी होली का त्योहार रंगीन पानी से खेला जाता था और गुलाल उड़ाया जाता था. इत्र का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे माहौल सुगंधित और रंगीन बन जाता था.

जहां अकबर, जहांगीर और शाहजहां के समय में होली धूमधाम से मनाई जाती थी, वहीं औरंगजेब के शासनकाल में इस पर काफी प्रतिबंध लग गया.

औरंगजेब के काल में हिंदू त्योहारों पर सख्ती बढ़ा दी गई थी, जिससे मुगल दरबार होली का महत्त्व धीरे-धीरे कम हो गया था.

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