पत्थर में भी आंख बनाई जा सकती है... शायरा रेनू नैय्यर के चुनिंदा शेर

28 Feb 2024

By अतुल कुशवाह

शायरा रेनू नैय्यर का ताल्लुक पंजाब के जालंधर से है. किताबें भी लिख चुकी हैं. मुशायरों व कवि सम्मेलनों में शिरकत करती हैं. सोशल मीडिया उनके शेर अक्सर वायरल होते हैं.

शायरा रेनू नैय्यर

Photo: Facebook/pexels

दुनिया को हर चीज दिखाई जा सकती है पत्थर में भी आंख बनाई जा सकती है हिज्र का मौसम वो मौसम है जिसमें जानां आंखों में भी रात बिताई जा सकती है.

दुनिया को हर चीज दिखाई जा सकती है पत्थर में भी आंख बनाई जा सकती है हिज्र का मौसम वो मौसम है जिसमें जानां आंखों में भी रात बिताई जा सकती है.

हर शख्स था तेरी तरफ तेरी ही बज्म थी किसको सुनाते फिर तेरे किस्से जफा के हम तेरी किसी मुराद की खातिर मेरे रकीब गिर जाएं आसमान से हैं वो सितारे हम.

किसी भी हश्र से महरूम ही रहा वो भी मेरी तरह का जो किरदार था कहानी में जगह जगह से सियाही भी धुल गई होगी बहा है वक्त जो उस डायरी पुरानी में.

आप कहते हैं याद करते हैं हमको तो हिचकियां नहीं आतीं फूल कागज पे मत बनाओ तुम उन पे फिर तितलियां नहीं आतीं.

खुदा से उसे मांग कर देखते हैं फिर अपनी दुआ का असर देखते हैं इधर आ ऐ हुस्ने तमन्ना इधर आ नजर भर तुझे इक नजर देखते हैं.

सफर इक दूसरे का एक सा है बदन मंजिल नहीं है मरहला है मैं तुझको उम्र सारी याद आऊं तेरे इस भूलने की ये सजा है.

कभी तो वस्ल की चारागरी भी काम आएगी अभी तो हिज्र मरहम है अभी तू नम न कर आंखें अभी तो सामने बैठी हूं बिल्कुल सामने तेरे अभी किस बात का गम है अभी तू नम न कर आंखें.