बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार में ही नहीं, बल्कि देश भर में ऐसे कई मंदिर-दरगाहें हैं जहां तथाकथित रूप से भूत या प्रेतों से सताये लोग राहत के लिए पहुंचते हैं.
इन स्थानों की मान्यता ऐसे ही नहीं बढ़ी है, बल्कि यहां इस तरह के दावे किए जाते हैं कि कई लोग यहां आकर ठीक हुए हैं. मनोविज्ञान में इसे कई अध्ययनों के जरिये बताया गया है.
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फार्मेशन की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में साल 2020 में फेथ हीलिंग पर एक स्टडी की गई है.
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि फेथ हीलिंग का अर्थ है विश्वास की ताकत से किसी को मानसिक शारीरिक रूप से स्वस्थ करना.
जैसे मनोचिकित्सा में दवाओं के साथ साथ काउंसिलिंग भी मददगार होती है, इसी तरह फेथ हीलिंग भी मानसिक रूप से परेशान लोगों के लिए मददगार साबित होती है.
कथित तौर पर भूत-प्रेत की चपेट में आए लोगों में अजीब तरह की हरकतें जैसे बाल नोचना, हाथ पांव पटकना, रोना-चिल्लाना, भागने की कोशिश, गुस्सा जैसे लक्षण दिखते हैं.
डॉ त्रिवेदी कहते हैं कि ऐसे मामलों में मनोचिकित्सक को ही मरीज को दिखाना चाहिए, लेकिन लोग इन मामलों में पीर-फकीर, ओझा, तांत्रिक से लेकर दैव स्थानों पर जाते हैं.
वहां इन्हें आराम भी मिलता है. इसके साथ ही लोगों को ये विश्वास भी हो जाता है कि ये सिद्ध जगहे हैं, जबकि ऐसे मामलों में मनोवैज्ञानिक द्वारा काउंसलिंग भी मददगार होती है.
फेथ हीलिंग पर NCBI की स्टडी क्यों की गई? धार्मिक स्थलों पर किस तरह के लोग ज्यादा जाते हैं? फेथ हीलिंग की प्रक्रिया क्या है? विस्तार से जानने के लिए नीचे क्लिक करें.