17 June 2025
Aajtak.in
आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब चाणक्य नीति में पांच ऐसे स्थानों क जिक्र किया है, जहां इंसान को अपने सपनों का आशियाना यानी घर नहीं बनाना चाहिए.
चाणक्य ने एक श्लोक कहा है- 'लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता। पञ्च यत्र न वर्तन्ते न कुर्यात् तत्र संस्थितिः ॥'
इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य ने इंसान के रहने के लिए पांच जगहों को वर्जित माना है. आइए आपको बताते हैं कि ये जगह कौन सी हैं.
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1. जहां रोजी-रोटी का कोई साधन ना हो. आजीविका-व्यापार करने का साधन ना हो. वहां व्यक्ति को नहीं रहना चाहिए.
इसके बिना इंसान का जीवन नहीं चल सकता. इसलिए आदमी को आय के स्रोतों को ध्यान में रखते हुए रहने की जगह का चुनाव करना चाहिए.
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2. जहां आपको डर या भय का माहौल मिले, ऐसी जगह पर भी कभी घर बनाने से बचना चाहिए,
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3. जिस जगह लोगों में समाज या कानून का भय न हो, वहां पर भी नहीं रहना चाहिए. ऐसी जगह पर रहने से परिवार को नुकसान होता है.
4. जिस जगह लोक लाज की भावना का ध्यान न रखा जाता हो, उस जगह भी घर नहीं बनाना चाहिए. क्योंकि ऐसे स्थान पर रहने से सम्मान प्राप्त नहीं होता है.
5. जहां परोपकारी लोग न हों और जिनमें त्याग की भावना नहीं रहती उस जगह पर भी रहने से बचना चाहिए.
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